उज्जवी वस्त्रकार ने साबुन से गणेश की प्रतिमा व उत्कर्ष वस्त्रकार ने टीला की मिट्टी से बनाई प्रतिमा।

 

(गैंदलाल मरकाम) दुर्गुकोंदल:- दुर्गुकोंदल क्षेत्र के लोगों में वैश्विक महामारी कोविड 19 के बावजूद गणेश चतुर्थी को लेकर काफी उत्साह है. मुख्य रूप से गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़,कर्नाटक और तमिलनाडु आदि राज्यों में मनाया जाता है. इस साल भले ही कोविड-19 के कारण गणेश चतुर्थी का ये जश्न हर साल से अलग होगा लेकिन फिर भी लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. दरअसल, कोरोना की वजह से कई मंदिरों में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं है और इस वजह से वो ऑनलाइन ही गणपति बप्पा  के दर्शन कर सकते हैं. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए ही लोग घर में गणपति स्थापित कर पाएंगे. 


ऐसे में संस्कार वैली भानुप्रतापपुर में अध्ययनरत व दुर्गुकोंदल में निवासरत स्कूली बच्चों के द्वारा  कोविड-19 की थीम की  इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं. 

उज्जवी वस्त्रकार ने साबुन से गणेश की प्रतिमा व उत्कर्ष वस्त्रकार ने टीला की मिट्टी से प्रतिमा बनाई, जिसे बनाने उत्तरा वस्त्रकार ने दोनों को प्रशिक्षित किया। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी के 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है. विघ्नहर्ता की दिल से पूजा करने से इंसान को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है

और मुसीबतों से छुटकारा मिलता है. भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था. अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त या सितम्बर के महीने में आता है.

गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है. अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं योग शिक्षक संजय वस्त्रकार ने कहा कि भगवान गणेश वास्तव में प्रकृति की शक्तियों का विराट रूप है गणेश जी के 32 मंगलकारी रूप बताए गए हैं और वर्तमान परिदृश्य अर्थात कोरोना वैश्विक महामारी को ध्यान में रखते हुए समस्त कोरोना वारियर्स के सम्मान में व इस महामारी के मुक्ति के लिए भी हमें प्रकृति की शक्तियों के विराट रूप कहे जाने वाले भगवान गणेश के रूप में स्थान देना एवं सम्मान के साथ स्थापित कर पूजन किया जाना चाहिए।

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